Bharatwasi Hoon - Zarra Singh
कांच की गुड़िया नहीं है हम
जो, तोड़ने से टूट जाए
दिल भले ही, नरम हो
पर ,,कोई छेड़े तो
हम , गरम हो जाए
हम हैं, भारतवासी
करते हैं सबका सम्मान
छोटे-बड़े ,,सबका लिहाज करें
यही, अपना है पहचान
बड़ों को हम पिता समान मानें,
और,बड़ी को, माता का सामान
छोटे सारे,,, भाई हैं अपने
और,,छोटी, बहना के समान
भारतवासी हूं, ऐसे ही सोचता हूं
दिल के हर जज्बात को
ऐसे ही बोलता हूं
एक साथ खड़े हो तो
हम ताकत बन जाएं
एकता और प्यार से
भारत को, महान बनाएं
भारतवासी हूं, ऐसे ही सोचता हूं
दिल के हर जज्बात को
ऐसे ही बोलता हूं
तो क्यों ना बोलूं मैं
हमें गर्व होता है
भारत भूमि में
जीवन का पर्व होता है
तो क्यों ना सोचूं मैं, भारत हमारी मां
भैया, बहना, पिता समान मानूं
सोचता है मेरा आत्मा
कुछ इस तरह से
कुछ इस तरह से
श्रद्धा, भक्ति, भाव से
अपना बना के
भारतवासी हूं, ऐसे ही सोचता हूं
दिल के हर जज्बात को
ऐसे ही बोलता हूं
Bharatwasi Hoon - Zarra Singh